प्राचीन काव्य में भाषा के कौशल से कवि अलंकारों का सृजन सप्रयास करते थें किन्तु अब कवि अलंकारों पर अधिक ध्यान नहीं देते, लेकिन कवि के भाषा के कौशल तथा कथ्य की भंगिमा के कारण अलंकारों की सहज उत्पत्ति को रोका नहीं जा सकता । इसलिये अलंकार कविता के अव्यव के रूप में बना हुआ ही है ।
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