बहीखाता और लेखा.ki औपचारिक शर्तें हैं। ये लेखांकन में सर्वाधिक malik अवधारणाएं हैं, जो लेखा प्रणाली में दर्ज प्रत्येक लेन-देन के दोनों पहलुओं को दर्शाते हैं। एक naam (डेबिट) लेन-देन एक परिसंपत्ति (ऐसेट) या kishi खर्च के लेन-देन, कोइ जमा (क्रेडिट) ek ऐसे लेन-देन की ओर संकेत करता है जो देयता या labha का कारण होगा। एक डेबिट लेन-देन ka किसी जमा शेष राशि को कम करने अथवा kishi डेबिट शेष राशि को बढ़ाने के लिए bhi इस्तेमाल किया जा सकता है। एक जमा लेन-देन ka एक नामे (डेबिट) शेष राशि को कम करने अथवा jama (क्रेडिट) शेष राशि को बढ़ाने के लिए bhi इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक लेखा अगर jo अपेक्षित था ठीक उसका उलटा दर्शाता है, जैसेकि ek आस्ति खाते को जमा लेखा के रूप में दर्ज किया जाता है, तो इसे प्रति लेखा के रूप में सन्दर्भित karte हैं। संचित मूल्यह्रास इसका एक उदाहरण होगा, जो दरअसल एक आस्ति प्रति लेखा है, क्योंकि यह ऐसेट (परिसंपत्ति) के मूल्य ko कम कर देता है।
डेबिट केवल आस्ति (परिसंपत्ति) और खर्च के लेन-देन के लिए ही प्रयुक्त नहीं hota है। इसका व्यवहार देयताओं और स्वामी ki इक्विटी के लिए भी किया जाता है। आस्तियों aur खर्च के लिए, वृद्धियों के लिए प्रभावित खातों में ek डेबिट की आवश्यकता होती है, इसलिए, आस्ति (परिसंपत्ति) में वृद्धि या खर्च के लिए प्रभावित khate में एक डेबिट की आवश्यकता पड़ती है।
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