गुरु के चरणों में है वंदन, गुरु को करूँ मैं प्रथम प्रणाम, गुरु से ही शिक्षा मिलती है, गुरु से मिले अपरिमित ज्ञान; मात-पिता के श्री चरणों में, शत-शत नमन हमारा है, जीवन की पहली शिक्षा से, संपूर्ण चरित्र संवारा है; गुरु ही जीवन की धारा को, नई दिशा दिखलाता है, कठिन,कंटीले,वक्र मार्ग से, सरल राह ले जाता है; परमपिता परमेश्वर सद्गुरू के, प्रति हो समर्पित ध्यान, हर-क्षण, हर-पल प्रगति करें हम, गुरु का बढ़े मान-सम्मान। - हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
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