इस मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी के उदगार के कारण बैसाल्ट चट्टान के निर्माण होने से हुआ है। वहीं दक्षिण भारत में काली मिट्टी को ‘रेगूर’ (रेगूड़) के नाम से जाना जाता है। केरल में काली मिट्टी को ‘शाली’ का नाम दिया गया है और वहीँ उत्तर भारत में काली मिट्टी को ‘केवाल’ नाम से जाना जाता है।
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