इस काव्यधारा के कवियों की भक्ति भावना दास्य भाव की है। वे राम को साकार रूप में पाकर स्वयं को भगवान राम का सेवक माना है तथा उसी की सेवा करते हुए राम को अपना स्वामी माना है इस प्रकार की भक्ति के कारण ही इस धारा के काव्य में लघुता, दैन्य, उदारता, आदर्शवादिता, आदि भावों की प्रधानता दिखाई देती है। रामानन्द, तुलसीदास, स्वामी अग्रदास, नाभादास, प्राणचंद चौहान, हृदयराम, केशवदास, सेनापति राम भक्ति शाखा के कवि है I
You must log in to post a comment.