स्वामी रामानन्द मध्यकालीन भक्ति आन्दोलन के महान सन्त थे। उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाया। वे पहले ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया। उनके बारे में प्रचलित कहावत है कि – द्रविड़ भक्ति उपजौ-लायो रामानंद। भविष्य पुराण, अगस्त्य संहिता तथा भक्तमाल के अनुसार राघवानन्द ही रामानन्द के गुरु थे।
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